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Showing posts from November, 2015

फोरव्हीलर - कहानी

  फोरव्हीलर -महेश कुमार सैनी ‘माही’            रात के लगभग बारह बज गये, लेकन बाराती तोरण द्वार पर आने का नाम ही नहीं ले रहे थे। दुल्हन के पिता रामलाल के दिमाग में अजीब विचार घर कर रहे थे और वह उनको बार- बार भूलने की कोशिश कर रहा था। कोई चारा न देखकर वह बिचौले शिवलाल के साथ जाकर दुल्हे के पिता रामूतार से मिलता है। आखिरकार बड़ो के दिये आदेश व ‘ अल्टीमेटम ’ से बारातियो के थिरकते कदमो ने विश्राम लिया व डीजे पर बज रहा गाना ‘ ले जायेंगे दिलवाले...... ’ बंद हो गया।         बारात को तोरण द्वार पर आया देख घर की महिलाओ में उत्साह छा गया। वे दुल्हन की माँ शांति के साथ वर के स्वागत के लिये दरवाजे पर पहुँची। दुल्हा समीर घोड़ी पर बैठा था। उपस्थित लोगो ने उसे तोरण मारने के लिये कहा, लेकिन उसके व उसके दोस्तो के बीच हुई कानाफूसी के बाद वह तोरण मारने में आनाकानी करने लगा।         “ मैं स्टेज पर ही दुल्हन के गले में वरमाला डालूंगा ”   दुल्हे समीर ने अपनी दिली तमन्ना ...

अन्नदाता (poems by mksmahi)

 अन्नदाता -महेश कुमार सैनी 'माही' रवि मद्यम पड़ जाता है। शीत भयभीत हो जाता है। आँखो में लिये परिश्रम के सपने, जब वह खेत को जाता है।। वर्षा के क्या वश उसके आगे चलता। वह तो ना तूफान से डरता। अन्नदाता के स्वरूप लिये, मेहनत करके अन्न उगाता।। खून-पसीने से वह अपने। सींच-सींच कर धरा की प्यास बुझाता। धरती की प्यास बुझाने की खातिर, नभ से घन को तोड़कर लाता।। वह तो भूमि का भाग्य विधाता है। बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना देता है। सम्पूर्ण विश्व की उदर शान्ति के लिये, ‘ माही ’ वहीं सच्चा अन्नदाता है।।