फोरव्हीलर - कहानी
फोरव्हीलर -महेश कुमार सैनी ‘माही’ रात के लगभग बारह बज गये, लेकन बाराती तोरण द्वार पर आने का नाम ही नहीं ले रहे थे। दुल्हन के पिता रामलाल के दिमाग में अजीब विचार घर कर रहे थे और वह उनको बार- बार भूलने की कोशिश कर रहा था। कोई चारा न देखकर वह बिचौले शिवलाल के साथ जाकर दुल्हे के पिता रामूतार से मिलता है। आखिरकार बड़ो के दिये आदेश व ‘ अल्टीमेटम ’ से बारातियो के थिरकते कदमो ने विश्राम लिया व डीजे पर बज रहा गाना ‘ ले जायेंगे दिलवाले...... ’ बंद हो गया। बारात को तोरण द्वार पर आया देख घर की महिलाओ में उत्साह छा गया। वे दुल्हन की माँ शांति के साथ वर के स्वागत के लिये दरवाजे पर पहुँची। दुल्हा समीर घोड़ी पर बैठा था। उपस्थित लोगो ने उसे तोरण मारने के लिये कहा, लेकिन उसके व उसके दोस्तो के बीच हुई कानाफूसी के बाद वह तोरण मारने में आनाकानी करने लगा। “ मैं स्टेज पर ही दुल्हन के गले में वरमाला डालूंगा ” दुल्हे समीर ने अपनी दिली तमन्ना ...