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गुरु बिना ज्ञान नहीं (हिन्दी सामाजिक निबंध)

प्रस्तावना प्रातः काल शहर से लेकर गाँवों की सड़कों व गलियों में एक चीज मुख्य रूप से देखने का मिलती है – वो है पीठ पर बैग लगाकर स्कूल जाते हुए बच्चों का समूह। इन बच्चों में विद्यालय जाकर ज्ञान प्राप्त करने की तत्परता रहती है। जिससे की ये इस भवसागर में संघर्ष करके अपने सपनों को साकार कर सकें व श्रेष्ठ जीवन यापन करें। इनके इन सपनों को साकार करने में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, वो है इनके शिक्षक। जिनकी दी गयी शिक्षा इनके जीवन में चाहे पृष्ठभूमि में ही, इनके साथ जीवन भर रहती है। शिक्षक समाज का दर्पण है- भारतीय समाज में शिक्षक को अतिमहत्वपूर्ण माना गया है। उसके भगवान से भी उच्च दर्जा दिया गया है, क्योंकि एक वहीं है जो ईश्वर को प्राप्त करने की श्रेष्ठ राह दिखाता है। इसलिये कहा गया है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागु पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।   वह विद्यार्थी के साथ – साथ समाज पर भी प्रभाव डालता है। क्योंकि उसी के विद्यार्थी मिलकर समाज बनाते है और वे बाद में समाज के प्रमुख सदस्य बनते है। वे वही आचरण करते है, जो उन्हें अपने दीक्षा काल में शिक्षकों से प्रा...