फोरव्हीलर - कहानी

 फोरव्हीलर
        
 रात के लगभग बारह बज गये, लेकन बाराती तोरण द्वार पर आने का नाम ही नहीं ले रहे थे। दुल्हन के पिता रामलाल के दिमाग में अजीब विचार घर कर रहे थे और वह उनको बार- बार भूलने की कोशिश कर रहा था। कोई चारा न देखकर वह बिचौले शिवलाल के साथ जाकर दुल्हे के पिता रामूतार से मिलता है। आखिरकार बड़ो के दिये आदेश व अल्टीमेटमसे बारातियो के थिरकते कदमो ने विश्राम लिया व डीजे पर बज रहा गाना ले जायेंगे दिलवाले...... बंद हो गया।
        बारात को तोरण द्वार पर आया देख घर की महिलाओ में उत्साह छा गया। वे दुल्हन की माँ शांति के साथ वर के स्वागत के लिये दरवाजे पर पहुँची। दुल्हा समीर घोड़ी पर बैठा था। उपस्थित लोगो ने उसे तोरण मारने के लिये कहा, लेकिन उसके व उसके दोस्तो के बीच हुई कानाफूसी के बाद वह तोरण मारने में आनाकानी करने लगा।
        मैं स्टेज पर ही दुल्हन के गले में वरमाला डालूंगा दुल्हे समीर ने अपनी दिली तमन्ना जाहिर की। लेकिन शादी के टाइम टेबल  में स्टेज पर वर माला का कोई कार्यक्रम नहीं था। उपस्थित लोगो ने उसे काफी समझाया, लेकिन अपने दोस्तो के द्वारा समर्थित हठ के कारण वह झुकने का तैयार नहीं हुआ।
        समय बीतता जा रहा था। वहीं दूसरी ओर दुल्हे के पिता ने भी अपनी इच्छा जाहिर की। उसकी ख्वाहिश थी कि वह दुल्हन को दहेज में मिली कार में बैठाकर अपने घर ले जाये। लेकिन दहेज के सामान के साथ कार न देखकर वह तिलमिला उठा और अपने बेटे के साथ जिद पकड़ कर बैठ गया।
        हमने पहले ही कह दिया था कि हमें फोरव्हीलर चाहिये दुल्हे के पिता रामूतार ने अधिकारपूर्ण आवाज में कहा।
समधीजी मैं गरीब मजदूर आदमी हूँ,  कार देना मेरी हैसियत से कोसो दूर है। दुल्हन के पिता रामलाल ने करूणापूर्वक कहा।
जब कार देने की आपकी औकात ही नहीं थी, तो फिर क्यों किया ये रिश्ता? अब अपनी बेटी को अपनी घर में ही बिठाकर रखिये रामलालजी। रामूतार ने गुस्से व आवेश में आते हुये धमकी भरी वाणी में कहा।
समधीजी मेरी पगड़ी आपके कदमो में है, मैं आपके थूके चाटने को तैयार हूँ, बस आप मेरी कन्या पर दया करो । रामलाल आँखो से आंसू लेते हुये गिड़गिड़ाते हुये कहा।
दया बिना दाम के नहीं हो सकती, आप हमारी माँग पूरी करदो तो हम आपकी बेटी पर दया कर देंगे। दुल्हे के चाचा ने रामूतार की अनुचित बात का समर्थन करते हुये कहा।
देखो मेरा बेटा समीर एक कम्पनी में बड़ी नौकरी पर है, उसको शादी में कार चाहिए कि नहीं, बिल्कुल चाहिए। रामूतार ने उपस्थित भीड़ से अपनी बात का बेवजह समर्थन करवाने की कोशिश की।
मेरे पास जो कुछ था, उससे बहुत ज्यादा मैंने ब्याह में खर्चा लगा दिया। अब इससे ज्यादा एक नया पैसा भी मेरे पास नहीं है, आप चाहो तो मेरी कुटिया को ले सकते हो, लेकिन मेरी बेटी पर कृपा करदो, मैं आपके पाँव पड़ता हूँ। रामलाल ने रोते हुये कहा। उसकी आवाज भी बेदम हो गयी थी।
वहाँ पर उपस्थित समाज के अन्य लोगो नें भी वरपक्ष को बहुत समझाया। लेकिन वरपक्ष की ऐंठ के  आगे उनकी एक न चली। वरपक्ष अपनी अनुचित माँग पर अड़िग रहा। यहाँ तक कि दोनो पक्षो के बीच मारपीट का अवसर भी बना, लेकिन अन्य लोगो ने बीचबचाव करके  इस घटना को मारपीट की घटना में परिवर्तित होने से बचा लिया। वरपक्ष में इंसानियत का  कोई नामोनिशान भी नहीं था। इसकी जगह फोरव्हीलर ने ले ली थी। उनको फोरव्हीलर के आगे कुछ सूझता भी नहीं था।
माही ऐसे लोग शादी सिर्फ दहेज के लिये ही करते है। ये लोग दहेज लेने को अपना अधिकार मानते है। दहेज न मिले तो ये अपने बेटे की शादी भी नहीं कर सकते, और जहाँ से दहेज की थोड़ी सी भी उम्मीद दिखे वहाँ अपने बाप की शादी भी करने को तैयार हो जाते है। लेकिन माही ये लोग ऐसा नहीं जानते कि इन्होंने विवाह के पवित्र बंधन को बाजार बनाकर अपने लड़के की फोरव्हीलर के रूप में बहुत तुच्छ कीमत  की बोली लगायी है।
आखिरकार मामला अपनी सीमा को बहुत ज्यादा लांघ गया। समाज के कुछ जागरूक लोगो ने ऐसी सिचूएशन पर पुलिस को बुलाना ही उचित समझा। कुछ देर बाद प्रागपुरा पुलिस मय जाप्ता वहाँ पर पहुँची। पुलिस इंचार्ज ने भी बाप – बेटे का समझाने  के लिये बहुत हाथ – पाँव मारे लेकिन, उसकी भी दाल न गली। अब पानी सिर से बहुत ऊपर चला गया। अंततः पुलिस ने दुल्हे व उसके पिता को दहेज व शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
दुल्हन सीमा जो अपने कमरे में अरमानो की डोली सजाये अपने दुल्हे का इंतजार कर रही थी, उसे जैसे ही घटना के परिणाम का पता चला उसे गहरा सदमा लगा। हालांकि अभी तक उसे घरवाले दिलासा देते आ रहे थे कि सब ठीक हो जायेगा। लेकिन अब वह अन्दर से बिल्कुल टूट चुकी थी, उसका संयम जवाब दे चुका था। वह अपने आदर्श बापूजी की ऐसी दयनीय हालत नहीं देख सकती थी। वह इन सब का कुसूरवार खुद का ठहरा रही थी। उसकी धारणा थी कि ना वो पैदा हुई होती और ना ही उसके बापूजी को उसकी शादी के दहेज में फोरव्हीलर ना देने पर ऐसी पीड़ा उठानी पड़ती और ना ही अपमान सहना पड़ता। उस फोरव्हीलर के आगे उसके सामने ही उसकी आशाऐं, सारे अरमान कुचल दिये गये थे।
आखिरकार वहीं हुआ जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। वहीं जो हर जगह से अपने लिये असफलता व सारे रास्ते बंद देखकर एक मनुष्य करने की सोचता है, और सीमा तो इसके लिये स्वंय को सबसे जायज मान रही थी। वह ऐसी हरकत करने जा रही थी जो सभी ओर से सर्वथा अनुचित व कायरो वाली थी।
कुछ देर बाद बाहर हाथ लगी मायूसी व असफलता से उदास होकर सीमा के चाचा ने उसे सांत्वना देने व सम्भालने के लिये दरवाजा खोलना चाहा, लेकिन काफी प्रयास के बावजूद दरवाजा खुल ही नहीं रहा था। अंततः उसने बाहर खड़े लोगो को आवाज लगायी। सभी अन्दर दौड़कर आये। खिड़की के सीसे तोड़कर अन्दर झांका तो सीमा के पैर लटके दिखायी दे रहे थे। दरवाजा तोडकर खोला गया तो सीमा की स्थिति देखकर सभी के होश उड़ गये। सीमा जिस साड़ी को पहनकर समीर के साथ सात फेरे लेने वाली थी, उसी का गले में फंदा लगाकर छत पर पंखे से फंदा लगाकर लटकी हुयी थी।
सीमा को फंदे से नीचे उतारा गया। उसकी सांस रूक गयी थी, वह मर चुकी थी। दहेज रूपी डायन ने सीमा को निगल लिया था। फोरव्हीलर ने उसके अरमानो के साथ उसे भी कुचल दिया था। जिस घर से हँसी खुशी उसकी डोली उठनी चाहिए थी, अब वहाँ से मातम के माहौल में उसकी अर्थी उठने वाली थी।
एक और जिन्दगी दहेज की आग में जल गयी, और वहाँ पर आंसू बहाने व स्वंय को कोसने के अलावा और कोई चारा नहीं था। समाज दहेज से छुटकारा पाने के लिये आँखे फाड़े जिस पीढ़ी की ओर देख रहा है, उसने ही एक जिन्दगी को दहेज के अग्निकुण्ड में झोंक दिया। उस पीढी के लिये तो सबकुछ फोरव्हीलर ही था।
माही अब सीमा तो वापस नहीं  आ सकती, लेकिन हमें ऐसा करना होगा कि दूसरी सीमा के साथ ऐसा ना हो।





Comments

Popular posts from this blog

Jokes on Cricket : क्रिकेट शायरी

Quotes by mksmahi

कलाम चाचा को सलाम