गुरु बिना ज्ञान नहीं (हिन्दी सामाजिक निबंध)

प्रस्तावना

प्रातः काल शहर से लेकर गाँवों की सड़कों व गलियों में एक चीज मुख्य रूप से देखने का मिलती है – वो है पीठ पर बैग लगाकर स्कूल जाते हुए बच्चों का समूह। इन बच्चों में विद्यालय जाकर ज्ञान प्राप्त करने की तत्परता रहती है। जिससे की ये इस भवसागर में संघर्ष करके अपने सपनों को साकार कर सकें व श्रेष्ठ जीवन यापन करें। इनके इन सपनों को साकार करने में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, वो है इनके शिक्षक। जिनकी दी गयी शिक्षा इनके जीवन में चाहे पृष्ठभूमि में ही, इनके साथ जीवन भर रहती है।
शिक्षक समाज का दर्पण है-
भारतीय समाज में शिक्षक को अतिमहत्वपूर्ण माना गया है। उसके भगवान से भी उच्च दर्जा दिया गया है, क्योंकि एक वहीं है जो ईश्वर को प्राप्त करने की श्रेष्ठ राह दिखाता है। इसलिये कहा गया है-

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागु पाय।बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।

  वह विद्यार्थी के साथ – साथ समाज पर भी प्रभाव डालता है। क्योंकि उसी के विद्यार्थी मिलकर समाज बनाते है और वे बाद में समाज के प्रमुख सदस्य बनते है। वे वही आचरण करते है, जो उन्हें अपने दीक्षा काल में शिक्षकों से प्राप्त होते है। इन्हीं से समाज संचालित होता है। अतः किसी समाज के बारे में जानना हो तो उनके शिक्षकों का जानिये। क्योंकि समाज में उन्हीं की परछाई झलकती है। इसलिये शिक्षक को समाज का दर्पण कहा गया है।

जो शिष्टाचार सिखाता वो शिक्षक-

एक शिक्षक अपने छात्रों को जीवन में सफल होने के बहुत सारे तरीके सिखाता है। इन सब में शिष्टाचार बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसी से व्यक्ति की समाज में छवि बनती है। उसका शिष्ट आचरण ही लोगों को उसकी ओर आकर्षित करता है, एवं उसे व्यवहारिक बनाता है। उसके व्यवहार में उसके शिक्षक द्वारा दिया गया आचरण दिखाई देता है।

क्षमाशीलता का प्रतिरूप है शिक्षक-

शिक्षक में क्षमाशीलता एक प्रमुख गुण होता है। यहीं गुण उसे विद्यार्थियों को सिखाने के समय पृष्ठभूमि में कार्य करता है। एक शिक्षक जितना शांत व क्षमाशील होगा, वह उतने ही बेहतरीन तरीकों से छात्रों को सिखा सकता है। उसका यह गुण उसके विद्यार्थियों में भी स्थानान्तरित हो जाता है।

कर्तव्यनिष्ठा के लिये प्रेरित करता है शिक्षक-

शिक्षक अपने छात्रों को निरंतर कार्य करते रहने के लिये प्रेरित करता है। वह उन्हें दायित्वों का उचित निर्वाह करना सिखाता है। वह छात्रों को इस प्रकार की शिक्षा देता है कि वे कर्तव्यों  से भागे न बल्कि उन्हें पूरी मेहनत व जिम्मेदारी से पूरा करें। क्योंकि कर्तव्यनिष्ठा ही एक मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। और यहीं उसे सफल बनाने में सर्वाधिक काम आता है।

आधुनिक समाज में शिक्षक की छवि-

पूर्व समय की तुलना में आज समाज में शिक्षक की छवि में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। इसके लिये शिक्षक व छात्र दोनों जिम्मेदार है। पहले शिक्षक का ईश्वरीय दर्जा दिया हुआ था लेकिन आज प्रायः ऐसा देखने का नहीं मिलता। इसके प्रमुख कारण निम्न है-
  1. अ.  कुछ शिक्षकों ने शिक्षा का व्यवसाय बना दिया है। वे प्राचीन आदर्शों को भूल गये है। हालांकि प्राचीन शिक्षक भी शिक्षा देने के बदले विद्यार्थियों से कुछ धन लिया करते थे। लेकिन उनकी गुरु दक्षिणा लेने के कुछ सिद्धांत व सीमित स्तर था। जो आज नहीं है, कुछ शिक्षक केवल धन कमाने के लिये अध्ययन करवाते है। इससे समाज में शिक्षकों की छवि को नुकसान हुआ है।
  2. आ.                      विद्यार्थियों ने भी ज्ञान प्राप्त करने के लिये अन्य तरीकों का अपनाया है। जिनमें सूचना प्रोद्यौगिकी के विकास के बाद आये साधन है। इसमें सबसे आगे गूगल गुरु है, जिससे विद्यार्थी कहीं भी जाये बिना घर बैठे ही शिक्षा प्राप्त कर रहे। वहीं पर परीक्षा देकर प्रमाण पत्र एवं उपाधि ले रहे है। इसने समाज में गुरु के महत्व को सर्वाधिक कम कर दिया।

गुरु व गूगल गुरु में तुलना-

सूचना प्रोद्यौगिकी ने समाज के सामने एक नए शिक्षक को पेश किया है। इस तीन डब्ल्यू के गुरु ने सामाजिक गुरु के महत्व को सर्वाधिक कम किया है। इसके माध्यम से छात्र घर बैठे ही विश्व के सभी श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों व शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर सकते है। यह उन्हें विश्व स्तर का ज्ञान सीमित प्रयासों में आसानी से उपलब्ध करवा देता है। यहीं पर वे परीक्षा देकर विश्व में अपना मूल्यांकन कर सकते है। तथा उसके अनुसार अपनी तैयारी कर सकते है। यह गुरु छात्रों को विश्व में चर्चित व कुछ ही मिनटों में परिवर्तित होते रहते तथ्यों के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाता रहता है, जो सामाजिक गुरु के द्वारा संभव नहीं है। इसी वजह से समाज में गुरु का महत्व कम हुआ है। छात्र सामाजिक गुरु के बजाय तीन डब्ल्यू वाले गुरु की ओर आकर्षित हो रहे है।
        परंतु जो सामाजिक गुरु सिखा सकता है, वो तीन डब्ल्यू वाले गुरु से संभव नहीं है। सामाजिक गुरु परछाई के तरह हमेशा छात्रों के साथ रहता है। वह बुद्धि के साथ विवेक भी सिखाता है। जबकि गूगल गुरु केवल ज्ञान दे सकता है। वह यह नहीं बताता कि इसे उपयोग कैसे करना है। अतः यह एकलव्य बना सकता है अर्जुन नहीं।
 अतः अब आपको निर्णय करना है कि कौन सा गुरु चाहिए। अगर दोनों मिल जाए तो वो बेहतर रहेगा।

सारांश

एक मनुष्य को मनुष्य बनाने में उसके गुरु को महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। गुरु ही उसे शिष्टाचार, क्षमाशीलता, कर्तव्यनिष्ठा जैसे मानवीय गुण सिखाता है।
एक समाज में भी शिक्षक महत्वपूर्ण कार्य करता है। उसे ईश्वरीय दर्जा दिया गया है। हालांकि वर्तमान समय में शिक्षक की छवि में परिवर्तन हुआ है। जिनमें सूचना प्रोद्यौगिकी के विकास का मुख्य हाथ रहा है।
फिर भी एक विद्यार्थी के जीवन पर शिक्षक के प्रभाव को नकार नहीं सकते है। विद्यार्थी चाहे माने या ना माने फिर भी शिक्षक का प्रभाव उसके जीवन पर हमेशा रहता है।
अतः शिक्षक विद्यार्थी के जीवन पर –
You can love me.You can hate me.But….You can’t ignore me.


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