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फोरव्हीलर - कहानी
फोरव्हीलर -महेश कुमार सैनी ‘माही’ रात के लगभग बारह बज गये, लेकन बाराती तोरण द्वार पर आने का नाम ही नहीं ले रहे थे। दुल्हन के पिता रामलाल के दिमाग में अजीब विचार घर कर रहे थे और वह उनको बार- बार भूलने की कोशिश कर रहा था। कोई चारा न देखकर वह बिचौले शिवलाल के साथ जाकर दुल्हे के पिता रामूतार से मिलता है। आखिरकार बड़ो के दिये आदेश व ‘ अल्टीमेटम ’ से बारातियो के थिरकते कदमो ने विश्राम लिया व डीजे पर बज रहा गाना ‘ ले जायेंगे दिलवाले...... ’ बंद हो गया। बारात को तोरण द्वार पर आया देख घर की महिलाओ में उत्साह छा गया। वे दुल्हन की माँ शांति के साथ वर के स्वागत के लिये दरवाजे पर पहुँची। दुल्हा समीर घोड़ी पर बैठा था। उपस्थित लोगो ने उसे तोरण मारने के लिये कहा, लेकिन उसके व उसके दोस्तो के बीच हुई कानाफूसी के बाद वह तोरण मारने में आनाकानी करने लगा। “ मैं स्टेज पर ही दुल्हन के गले में वरमाला डालूंगा ” दुल्हे समीर ने अपनी दिली तमन्ना ...
गुरु बिना ज्ञान नहीं (हिन्दी सामाजिक निबंध)
प्रस्तावना प्रातः काल शहर से लेकर गाँवों की सड़कों व गलियों में एक चीज मुख्य रूप से देखने का मिलती है – वो है पीठ पर बैग लगाकर स्कूल जाते हुए बच्चों का समूह। इन बच्चों में विद्यालय जाकर ज्ञान प्राप्त करने की तत्परता रहती है। जिससे की ये इस भवसागर में संघर्ष करके अपने सपनों को साकार कर सकें व श्रेष्ठ जीवन यापन करें। इनके इन सपनों को साकार करने में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, वो है इनके शिक्षक। जिनकी दी गयी शिक्षा इनके जीवन में चाहे पृष्ठभूमि में ही, इनके साथ जीवन भर रहती है। शिक्षक समाज का दर्पण है- भारतीय समाज में शिक्षक को अतिमहत्वपूर्ण माना गया है। उसके भगवान से भी उच्च दर्जा दिया गया है, क्योंकि एक वहीं है जो ईश्वर को प्राप्त करने की श्रेष्ठ राह दिखाता है। इसलिये कहा गया है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागु पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।। वह विद्यार्थी के साथ – साथ समाज पर भी प्रभाव डालता है। क्योंकि उसी के विद्यार्थी मिलकर समाज बनाते है और वे बाद में समाज के प्रमुख सदस्य बनते है। वे वही आचरण करते है, जो उन्हें अपने दीक्षा काल में शिक्षकों से प्रा...
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