Jokes on Cricket : क्रिकेट शायरी

एक मैच की कहानी


प्रस्तावना- 

इस कविता में एक क्रिकेट मैच में एक बल्लेबाज खेलने के लिये मैदान पर जाता है। खेलते समय उसकी आँखों का संपर्क दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला से होता है। संपर्क के दौरान महिला के हावभाव देखकर वह अपने अनुसार अनुमान लगाता जाता है। उन्हीं का वर्णन इस कविता में किया गया है। यह कविता हास्य रस पर आधारित है। चूंकि यह मूल रूप से हिन्दी भाषा में है, लेकिन इस रोचक बनाने के लिये क्रिकेट शब्दावली व खिलाड़ियों के नामों का प्रयोग किया गया है।

ना ये क्रिकेट होता, ना ये पिच विकेट होता
खेल में हार जीत का ना कोई भेद होता।

मैच के दौरान मुझे एक लड़की नजर आई।
मैने नोबॉल पर अपनी विकेट गँवाई।
वह मुझे देखकर मुस्कराने लग गई।
जैसे वाइड़ बॉल पर बाउन्ड्री लग गयी।।

लड़की की भी यार क्या वेस्ट  थी।
उसके आगे तो भज्जी की फिरकी भी वेस्ट थी।
मैं खेलता हुआ उसका दीदार करने लग गया।
आँखो के साथ स्कोर में भी प्लस चार करता गया।।

वह लड़की मेरे मन में बस गयी थी।
हमारी जोड़ी वीरू-गौती की तरह जम गयी थी।
अब तो बस उसके द्वारा फर्स्ट डिलेवरी फेंकने का इंतजार था।
मैं उस पर स्ट्रोक खेलने के लिये पूरी तरह तैयार था।।

मैं उसे देखकर खुद को भूलने लगा।
भज्जी की तरह बिना देखे शॉट खेलने लगा।
इससे ईंशांत शर्मा भी रिकी पोटिंग बन गया।
वह नंबर 11 पर आकर भी सेंचुरी ठोक गया।

अचानक मेरा उसका कनेक्शन टूटा।
जैसे मंलिगा की यॉर्कर पर  स्टम्प उखड़ा।
मैं देखता रह गया कि ये क्या हो रहा है।
कोई बाउंसर पर मेरी गिल्लियाँ बिखेर रहा है।।

मैंने उसे ना देखने की कसम खाई।
अब शॉट खेलना तो दूर, हर बॉल डॉट निकल गयी।
बॉलर मेरी मजाक बनाते गया।
वह अख्तर की तरह हिट करने का चैलेंज देते गया।

 मैं द्रविड़ की तरह लूज (Loose) बॉल का इंतजार करने लगा।
मेरा पार्टनर मुझे वीरू जैसा वार करने को कहने लगा।
उसकी बात को अनसुनी कर मैं बॉल को स्टॉप करते गया।
एक के बाद एक ऑवर मेडन निकालते गया।।

यह भगवान का एक नियम होता है।
हर किसी का कोई न कोई कमजोर क्षेत्र होता है।
बहुत देर बाद एक फ्लाइटेड़ बॉल आयी।
मैंने गेल की तरह उसे बाउन्ड्री पार पहुंचायी।।

अब तो मैं युवराज की तरह खेलने लगा।
हर बॉल को हवा में उछालने लगा।
अब तो छक्के-चौको के ओले गिरने लगे।
विरोधी इनसे जैसे तैसे बचने लगे।।

तभी मुझे वह लड़की याद आयी।
मैंने उससे नजरे मिलायी।
वह मुझे खेलते हुए गौर से देखने लगी।
अब तो हर शॉर्टपिच बॉल मुझे फुलटॉस लगने लगी।।

विपक्षी खिलाड़ियों के पसीने छूटने लगे।
वे मुझे रोकने के लिये हरसंभव कोशिश करने लगे।
बॉलर की बार बार लाइन बिगड़ने लगी।
अब तो बिना टच किये ही बाउन्ड्री लगने लगी।।

अब तो मेरे लिये सिंगल डबल की कोई बात ही नहीं।
बॉल को बाउन्ड्री पार पहुँचाये बिना मुझे राहत नहीं।
अब तो हर ओवर में छक्के लगने लगे।
बॉलर एक-एक डॉट बॉल के लिये तरसने लगे।।

एक अच्छी बॉल पर पड़ा मुझे विकेट गँवाना।
लेकिन सामने वाला अम्पायर था कुमार धर्मसेना।
उसने बॉल को आसिफ की जैसी नोबॉल बतायी।
अम्पायर ने लड़की को देखकर मेरी इनिंग्स फिक्स करायी।।

विरोधी कप्तान अब मोर्चे पर स्टेन को लगाया।
उसकी एक ही बाउंसर पर मेरा दिमाग चकराया।
उसकी हाई स्पीड के आगे मैं काँपने लगा।
 बॉल को मेरे बजाय विकेट कीपर स्टॉप करने लगा।।

मैंने फिर उसकी लड़की की तरफ देखा।
मेरी पतली हालत का संदेश उसकी तरफ फेंका।
मैं खड़ा- खड़ा डेकवर्थ लुइस नियम  से गणना करने लगा।
उससे टीम की जीत की आशा करने लगा।।

उसने मेरी तरफ देखते हुये अपनी आँखे बंद करके खोल दी।
जैसे गैरी कर्स्टन की कोचिंग की थ्योरी मेरी ओर फेंक दी।
अब मैं युवराज, स्टेन को स्टुअर्ट ब्रॉड समझने लगा।
उसके एक ओवर में छह छक्के लगाने लगा।।

अब तो मैंने डबल- ट्रिपल सेन्चुरी तक ठोक दी।
मैंने ब्रायन लारा के 400 के स्कोर को तोड़ने की आशा जगा दी।
उस रिकोर्ड को तोड़ने का मेरा पूरा हक था।
मेरे पास धोनी की तरह लेडी लक जो था।।

काश माही ये वनडे नहीं टेस्ट क्रिकेट होता।
मैं सचिन की जगह क्रिकेट का नया भगवान होता।
50 ओवर के बाद इनिंग्स ओवर हो गयी।
मेरी पारी 399 रन पर ही अटक गयी।।

टीम के ड्रेसिंग रूम में वह लड़की बैठी थी।
वह कोई और नहीं, राजस्थान रॉयल्स की मालकिन शिल्पा शेट्टी थी।
मैंने आईपीएल में अपनी अच्छी नीलामी का अनुमान लगाया।
लेकिन उसने मुझे इग्नोर कर माही पर दाँव लगाया।।



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